Lucknow : उत्तर प्रदेश में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं गांव-गांव को सोलर ऊर्जा से जगमगाने में जुटी हैं। उनकी प्रेरणा से शुरू की गई मुहिम रंग लाने लगी है।
उन्होंने कानपुर देहात स्थित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पैतृक गांव परौंख के सामुदायिक शौचालय को सोलर ऊर्जा से जगमगा दिया है। यह प्रदेश का दूसरा शौचालय है जिसे समूह की महिलाओं ने सोलर ऊर्जा से रोशन किया है। इससे पहले कानपुर देहात के टोडरपुर गांव के शौचालय में सोलर विद्युतीकरण का कार्य किया जा चुका है।
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बुधवार को राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश की महिलाओं एवं बालिकाओं को सुरक्षा देने, सम्मान और स्वावलंबन को बढ़ाने और रोजगार से जोड़ने के प्रयास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से लगातार किये जा रहे हैं। इस कड़ी में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को समूह से जोड़ने का बड़ा काम किया गया है। समूह की महिलाओं को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरणा ओजस कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
प्रेरणा ओजस कार्यक्रम के सीईओ शैलेंद्र द्विवेदी ने बताया कि कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए कानपुर देहात में सीएसआर फण्ड की मदद से सोलर विद्युतीकरण का काम तेज कर दिया गया है। इसके तहत ब्लॉक देरापुर की ग्राम पंचायत परौंख में सामुदायिक शौचालय अब सोलर विद्युतीकरण से जगमगा उठा है।
उन्होंने बताया कि योजना के तहत कानपुर जिले में स्थापित 595 सामुदायिक शौचालयों को सोलर ऊर्जा से जगमगाया जाना है। प्रदेश में पंचायती राज के कुल 56 हजार सामुदायिक शौचालय है जिनको भविष्य में सोलर ऊर्जा से रोशन किया जाएगा। महिलाओं ने स्वयं की शौचालय में वायरिंग और सोलर पैनल भी स्टॉल कर दिये।
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द्विवेदी ने बताया कि सामुदायिक शौचालय में समूह की महिलाओ ने 150 वॉट के 2 सोलर पैनल खुद स्टॉल किये हैं। 52 एएच की 2 बैटरी भी लगाई हैं। 16 एलईडी बल्ब लगाए गये हैं, जिसमें 12 बल्ब सेन्सर बेस पर संचालित हैं।
उन्होंने बताया कि किसी भी व्यक्ति के शौचालय में प्रवेश करने पर ये लाइटें जल जाएंगी और उसके बाहर निकलने के 30 सेकण्ड बाद बंद हो जाएंगी। शाम 6:30 बजे इस शौचालय की लाइटें जल जाएंगी और इनका बैकअप 2 दिनों तक रहेगा। महिलाओं ने इस शौचालय की वायरिंग भी स्वयं ही की है।
कानपुर देहात जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि कानपुर देहात में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत 978 स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है। 10 हजार 758 ग्रामीण महिलाओं को समूह से जोड़ा गया है।
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